लेखनी - अंकुर स्नेह का!!
अंकुर स्नेह का!!
शादी के 5 साल बीत जाने पर भी रचना की गोद सूनी थी। ऐसा नहीं था कि रचना और अमन में कोई शारीरिक कमी थी। पर फिर भी उन दोनों को अभी तक संतान सुख नहीं मिला था।
वो दोनों एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते थे, दोनो ही एक दूसरे की पीड़ा जानते थे और अपने स्नेह से उसे भरने की कोशिश भी करते थे। पर समाज के बनाए नियम और कायदे उनका पीछा कहां छोड़ने वाले थे। जहां देखो, जिस से भी मिलो, बस वही एक सवाल साए की तरह उनका पीछा करता, " और भई, खुशखबरी कब सुना रहे हो?" जहां तहां बस यही सवाल उनका पीछा करता। जैसे कि उनका तो कोई वजूद ही नही है। दोनों अपनी आंखों के आंसू एक दूसरे से छिपा लेते थे।जितनी देर भी साथ रहते, एक दूसरे की मदद करते, प्यार भरा समय गुजारते। मन मुटाव तो जैसे उनके घर का रास्ता भूल ही गया था।
रोज की तरह एक सुबह दोनों अपने अपने काम पर जाने के लिए तैयार हो रहे थे। रचना ने अपना और अमन का टिफिन पैक कर लिया था। सुबह 9 बजे के निकले शाम को 6 बजे ही मिलेंगे। दोनों गाड़ी में बैठने वाले ही थे कि अचानक से एक छोटी सी बच्ची उनकी तरफ दौड़ती हुई आई। वो बच्ची बहुत घबराई सी हुई थी। रचना की तरफ आते आते वो बेहोश हो कर गिर गई। रचना एकटक उसकी और देखे ही जा रही थी। दूध जैसी गोरी, मन मोह लेने वाले नैन नक्श, किसी अच्छे परिवार की बिटिया लग रही थी वो।
रचना और अमन दोनों ने उसे जल्दी से उठाया और पानी डाल कर उसे होश में लाने की कोशिश करने लगे।पानी के छींटे मारने से वो लड़की थोड़ी होश में आई। होश में आने पर उसने रचना और अमन के हाथ कस कर पकड़ लिए। अमन ने उसे प्यार से सहलाया और कहा, " क्या हुआ बेटा? इतनी डरी हुई क्यों हो? क्या नाम है तुम्हारा? तुम्हारे मम्मी पापा कहां हैं?"
उस बच्ची ने अमन की बात का कोई जवाब नही दिया। फिर रचना बोली,"डरो नही बेटा, हमे बताओ तुम कौन हो? कहां से आई हो? हम तुम्हारी मदद करेंगे।"
ऐसा सुनते ही वो बच्ची रचना के गले लग गई और बोली, " आंटी, मेरा नाम सौम्या है। दो गंदे अंकल ने मुझे घर से उठा लिया और मुझे बाइक पर जबरदस्ती ले जाने लगे। मैं चिल्लाई पर उन्होंने अपने हाथों से मेरा मुंह दबा लिया। मैंने बहुत कोशिश की उनसे बचने की, पर उन्होंने मुझे एक रूम में बंद कर दिया।उन्होंने मेरे मम्मी पापा से बहुत पैसे मांगे। मैंने 2 दिन से कुछ खाया भी नही है। आज बड़ी मुश्किल से मैं वहां से भाग आई।" इतना बोल वो बच्ची जोर जोर से रोने लगी।
उसका पीछा करते करते 2 लोग वहां आए। उस बच्ची को अमन और रचना के पास देख उन्होंने उनसे जबरदस्ती उस बच्ची को छीनने की कोशिश की।अमन ने दो चार हाथ दिखा उन्हें बच्ची से दूर किया, इसी बीच रचना के शोर मचाने से आस पास के लोगों ने उन दोनों बदमाशों को पकड़ा और पुलिस स्टेशन ले गए।
अमन ने जल्दी से बच्ची को गोद में उठाया और अपने घर ले आया। रचना ने उसके लिए दूध और टोस्ट बनाया। उसको खाना खिलाकर फिर उन्होंने उस बच्ची से उसके मम्मी पापा का पता पूछा। उसने अपने पापा का फोन नंबर बताया। फोन करने पर पता चला कि वो दिल्ली के एक बड़े बिजनेसमैन हैं, दो दिन से उनकी बेटी कहीं गुम हो गई है। बहुत परेशान थे वो लोग।
अमन ने उन्हें बताया कि उनकी बेटी सही सलामत उनके पास है। चिंता की कोई बात नही, वो सौम्या को उनके पास लेकर आ रहा है।
अमन और रचना ने बड़े ही प्यार दुलार से सौम्य को तैयार किया और दिल्ली के निकल पड़े।
कुछ घंटों के सफर के बाद सौम्या अपने मम्मी पापा की गोद में खिलखिला रही थी। सौम्या के मम्मी पापा ने उनका बहुत धन्यवाद किया। उन्होंने बोला," आप हमारे लिए किसी भगवान से कम नहीं हैं, आपने हमारी बच्ची को सही सलामत हम तक पहुंचाया है, हमारे पास आपका धन्यवाद करने के लिए शब्द नही हैं।" अमन ने कहा," ऐसी कोई बात नही है, अगर सौम्या भागने की हिम्मत नही दिखाती तो ये सब नहीं होता। बहुत बहादुर है, आपकी बेटी। भगवान इसको हर परेशानी और मुसीबतों से बचाए।" सौम्या ने रचना का हाथ पकड़ते हुए कहा," आंटी आप बहुत अच्छी हैं, आपने मुझे इतना सारा प्यार किया, अच्छा अच्छा खाना खिलाया, मुझे मेरे मम्मी पापा से मिलाया, thank you आंटी। आप मुझसे मिलने के लिए फिर से आओगे ना? प्रॉमिस?
रचना घुटनों के बल बैठ उसे गले लगाते हुए बोली, "भगवान आपकी सभी इच्छाएं पूरी करे, मेरी गुड़िया।"
रचना और अमन आंखों में आसूं लिए वहां से निकल गए। कुछ ही पलों के लिए ही सही, सौम्या उनकी जिंदगी में आई और ढेर सारा अपनापन दे गई।
सौम्या, उनकी जिंदगी में मातृत्व के सुख का अंकुर बो गई।
अगले ही साल उनके घर भी एक नन्ही परी आई, जिसका नाम उन्होंने "सौम्या" ही रखा।
प्रियंका वर्मा
1/7/22
Shrishti pandey
02-Jul-2022 08:19 AM
Very nice
Reply
Abhinav ji
02-Jul-2022 07:25 AM
Nice👍
Reply
Saba Rahman
01-Jul-2022 07:17 PM
Nice
Reply